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Ganga saptami

गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं । त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां ।।


अर्थ


गंगा जी का जल, जो मनोहारी है, विष्णु जी के श्रीचरणों से जिनका जन्म हुआ है, जो त्रिपुरारी की शीशपर विराजित हैं, जो पापहारिणी हैं, हे मां तू मुझे शुद्ध कर!


 
 
 

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